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सम्प्रेषण के प्रकार

सम्प्रेषण के प्रकार 




आमतौर पर सम्प्रेषण को दो भागों में बाटते है। 
1 शब्दिक सम्प्रेषण 
2 अशाब्दिक सम्प्रेषण 

1 शब्दिक सम्प्रेषण 
जब किसी सम्प्रेषण में किसी भाषा,शैली या लिपि का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के सम्प्रेषण को केवल वही व्यक्ति समझ सकता है, जिसे वो भाषा आती हो। 

शब्दिक सम्प्रेषण के लाभ:- 
1 शब्दिक सम्प्रेषण को समझने के लिए भाषा,लिपि और शैली की जानकारी होना आवश्यक है। जिस कारण अज्ञान व्यक्ति से गोपनीयता बनाई जा सकती है।
2 शब्दिक सम्प्रेषण को दस्तवेज में रखा जा सकता है। 
3 यदि कोई व्यक्ति भाषा को समझता है, उसके लिए इसका प्रयोग आसान होता है। 

शब्दिक सम्प्रेषण की सीमाए:-
1 जानकार लोगों से गोपनीयता रखना कठिन होता है। 
2 कोई व्यक्ति की बाते सच्ची है, या नही यह समझना कठिन होता है।

2 अशाब्दिक सम्प्रेषण 
जब सम्प्रेषण में किसी भाषा का प्रयोग नही होता है। बल्कि उसके हाव-भाव, इशारो या अन्य किसी तरीके से होता है। तब इस सम्प्रेषण को अशाब्दिक सम्प्रेषण कहते है।

अशाब्दिक सम्प्रेषण के लाभ:-
1 अशाब्दिक सम्प्रेषण सच्चाई को वहन करता हैं।
2 शब्दिक सम्प्रेषण को प्रभावी बनाता है।

अशाब्दिक सम्प्रेषण की सीमाए:- 
1 अशाब्दिक सम्प्रेषण का भंडारण सम्भव करना सम्भव नही है।
2 कई बार श्रोता द्वारा इसे समझना कठिन होता है।
3 कई बार इसके गलत पड़ता है।

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मेरे अनुसार सम्प्रेषण का एक अन्य प्रकार और मौजूद है। जो है:-
कुदरती सम्प्रेषण 
यह वो सम्प्रेषण होता है। जो व्यक्ति दुसरो को देखकर नही सिखता है। ये सम्प्रेषण वो कुदरती तौर पर सिख जाता है। जैसे हँसना, रोना, बच्चे का माँ के दूध के प्रति आकर्षित होना।, भीड़ में लड़को की कमर लड़कियों की और झुकना आदि।

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