दक्षिणी भारत के अलावा समस्त भारतीय इंग्लिश भाषा का उपयोग नहीं करते हैं। हमारे आसपास हिंदी भाषा एवं स्थानीय भाषा का अधिक प्रयोग होता है। परंतु इस बदलते समय में इंग्लिश भाषा का एक अहम भूमिका निभा रही है। आजकल का समय कंप्यूटर का आ गया है। कंप्यूटर में अधिकतर इंग्लिश भाषा का उपयोग होता है। जिस कारण इस बदलते समय में इंग्लिश सीखना एक आम बात हो गई है। पर इसमें ही सवाल आता है। अधिकृत लोग इंग्लिश सीखने की कोशिश करते हैं। कुछ कामयाब होते हैं तो कुछ नहीं होते, ऐसा इसलिए है क्योंकि हम स्थानीय भाषा का अधिक उपयोग करते हैं। तो क्या हम इंग्लिश सीख सकते हैं? इसका उत्तर हां है, हम इंग्लिश सीख सकते हैं। पर कैसे?
व्याकरण का सामान्य ज्ञान
किसी भी भाषा में पकड़ बनाने के लिए व्याकरण का ज्ञान होना आवश्यक है। जिस कारण हमें इंद्री सीखने के लिए टेंस, स्टेक्स एंड पोजीशन ज्ञान होना आवश्यक है। अगर आपको यह तीनों आते हैं। तब आपका इंग्लिश का आधार तैयार है।
गलतियां करने से ना डरे।
दरअसल आम गलतियां करने की डर के कारण हमारे दोस्तों एवं आस-पड़ोसी से इंग्लिश में बातचीत नहीं करते हैं। जिस कारण यह एक बड़ी बाधा है। हमें इंग्लिश बोलने के इस क्रम में इस डर से आजाद होना होगा।
छोटे वाक्यों का उपयोग करें
हम अभी भी सीख रहे हैं। ऐसे में बड़े वाक्यों में अधिक गलतियां होने की संभावना होती है। यह गलतियां हमारे अंदर डर पैदा कर देती है। इसलिए हमें बड़े राज्यों की जगह छोटे-छोटे वाक्यों का उपयोग करना चाहिए। जो सही होंगे, एवं हमारे आत्मविश्वास को भी बढाएगी। यह हमारे इस क्रम में फाउंडेशन का काम करता है।
इंग्लिश बोलने वालों को सुनें
एक छोटा बच्चा अपने माता-पिता से सीखता है। उन्हें देखकर ही वह बोलना भी सीखता है। आपको इंग्लिश सीखनी है, तो आपको भी बोलने वालों से सीखनी होगी। बोलने वाले आपके टीवी के न्यूज़ चैनल हो सकते हैं, मूवी हो सकती है या यूट्यूब के वीडियो हो सकते हैं।
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