Top Categories

क्या व्यवसाय में इंग्लिश जरूरी है?



यह एक बहुत ही आम मुद्दा है। क्योंकि आजकल इंग्लिश का इतना खर्चा बढ़ गया है, कि हर काम इंग्लिश में होता है। जिस तरह समय बदला है, उसी तरह व्यवसाय एवं व्यवसाय में काम करने के तरीके भी बदले हैं। आजकल का व्यवसाय किसी गांव के नुक्कड़ की दुकान तक सीमित नहीं रहा। बल्कि व्यवसाय अंतराज्य एवं अंतर्राष्ट्रीय हो चुका है। हां क्षेत्र की एक गलत भाषा होती है। इस बढ़ते व्यवसाय चक्र से इंग्लिश भाषा का काफी विस्तार हुआ है। आजकल व्यवसाय जितना इंग्लिश भाषा में होता है, उतना किसी अन्य भाषा में नहीं होता है। यह बदलता समय इंग्लिश भाषा को मजबूती दे रहा है। 

इंग्लिश भाषा का विस्तार क्यों?
आप यह सवाल काफी उठता है, कि आंखें इंग्लिश भाषा का ही विस्तार क्यों हुआ? इसका एक बहुत ही सरल कारण है। वह यह है कि इंग्लिश एक ऐसी भाषा है जो स्वमान्य है। भारत के भी कई राज्यों में हिंदी भाषा का उपयोग नहीं होता है। परंतु इंग्लिश भाषा का उपयोग होता है। साथ ही इन दिल्ली के एक अंतरराष्ट्रीय भाषा भी है। जिसे ज्यादातर देश समझते हैं। 

पश्चिमी देशों ने लगभग आधे से ज्यादा देशों पर राज किया है। जिस कारण वह जिस-जिस देश में गए वहां इंग्लिश भाषा का प्रचार हुआ। जिस कारण इंग्लिश एक स्वमान्य विश्व भाषा बन गई है। साथ ही इंग्लिश एक आसान भाषा भी है। और यह एकमात्र ऐसी भाषा है जो कंप्यूटर द्वारा अपनाई जाती है। जिस कारण इंग्लिश का और अधिक विस्तार हुआ है। जिस कारण हमें हमारे व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए इंग्लिश का ज्ञान होना आवश्यक है। अन्यथा हम कुए के मेंढक बनकर रह जाएंगे। 




हिन्दी का पतन 
प्रतिदिन हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी का पतन हो रहा है। हम तीनों ने हिंदी को भूल रहे हैं। भारत के ऐसे कई राज्य हैं जहां हिंदी लगभग लुप्त हो चुकी है। साथ ही तेजी से हिंदी के कई शब्द इंग्लिश अपना रहे हैं, जैसे कप, साइकिल, फोन आदि। इन शब्दों केे हिंदी अर्थ लगभग गायब हो चुके हैं। तथा इसी तरह कई शब्दद गायब हो रहेे हैं। जैसे क्षमा करो का सॉरी बन गया है। नमस्ते का हेलो और हाय बन गया है। यह नए शब्द तेजी से हिंदी को बदल रहे हैं। जिस कारण यह कहना गलत नहीं होगा कि लगभग आधी इंग्लिश हर हिंदी बोलने  वाला जानता है।

आज के समय में अगर हम शुद्ध हिंदी का उपयोग करें तो शायद आधे से ज्यादा लोग नहीं समझ पाएंगे। क्योंकि हिंदी का इतना पतन हो चुका है। साथी ही आजकल इंग्लिश बोलने वाले को समझदार समझा जाता है वही हिंदी को हल्का समझा जाताा है। आजकल जितने हिंदी उपन्यास नहीं बिकते  हैं, उससे ज्यादा इंग्लिश उपन्यास बिकते है। जो आने वाले समय में हिंदी के लिए खतरा है। अभी भी भारत के कई राज्यों मेंं हिंदी का ही उपयोग होताा है। वहीं कुछ राज्यों में वहां की स्थानीय भाषा का उपयोग होता है। भारत में तो उससे बात होने के बाद में इंग्लिश स्कूल बढ़ रहे हैं। आजकल गांव-गांव में इंग्लिश स्कूल खुल रहे हैं। जो आगे हिंदी के लिए खतरा है।। 


🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

यदि आपकों ये Blog पसन्द आया हो तो मुझे follow करे। और अगर आपको मुझसे कोई शिकायत या आप मुझे कोई सुझाव देना चाहते है, हो comment      करे।


इस Blog को पढ़ने के लिए धन्यवाद 



आप ऊपर दिये गए icom से मुझे instagram और facebook पर follow कर सकते हो


इस Blog का दूसरा भाग आप English कैसे सिख सकते है।को पढ़ने के लिए इस पक्ति पर क्लिक करे।

Post a Comment

0 Comments

Followers

Pages