निखत जरीन एक भारतीय महिला मुक्केबाज है, 25 वर्षीय इस युवा खिलाड़ी ने देश के लिए विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर खूब सुर्खियां बटोरी है, बता दें इस कारनामे को करते हुए उन्होंने देश की पांचवी भारतीय बॉक्सर होने का गौरव हासिल किया है।
आपकी जानकारी हेतु बता दें जरीन ही वह खिलाडी़ हैं जिन्होंने 2022 वर्ल्ड चैंपियनशिप में मुक्केबाजी के माध्यम से हम देशवासियों का नाम रोशन किया है, इस प्रकार बतौर महिला खिलाड़ी आगे बढ़कर उन्होंने इस खेल को एक नई ऊंचाइयां दी हैं और हम सभी को प्रेरित करने का कार्य किया है।
जन्म
हमारे देश को गौरव का पल दिलाने वाली मुक्केबाज निखत जरीन का जन्म 14 जून 1996 को निजामाबाद, तेलंगाना राज्य में हुआ था। उनके पिता का नाम मोहम्मद जमील अहमद और माता का नाम परवीन सुल्ताना है।
शिक्षा
निखत जरीन ने अपनी शुरुआती शिक्षा अपने ही शहर निजामाबाद से की थी जहां उन्होंने निर्मला गर्ल्स हाई स्कूल में पढ़ाई की थी। और उसके बाद अपना ग्रेजुएशन का कोर्स उन्होंने हैदराबाद से किया था। छोटी उम्र से ही बॉक्सिंग के क्षेत्र में आगे बढ़ने पर उन्होंने पढ़ाई पर बहुत ज्यादा ध्यान नहीं दिया था लेकिन फिर भी उन्होंने एक मूलभूत शिक्षा ग्रहण कर ली थी।
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निखत जरीन ( Nikhat Zareen) के कोच
किसी भी खिलाड़ी के लिए कोच की जिम्मेदारी सबसे ज्यादा मायने रखती है जो सही तरीके से मार्गदर्शन करते हुए आगे बढ़ने के लिए भी प्रेरित करते हैं। ऐसे में निकहत जरीन के जीवन में महत्वपूर्ण भूमिका उनके कोच इमानी चिरंजीवी और आर वी राव ने निभाई है।
जिन्होंने समय-समय पर निकहत को सही रास्ता बताया और किसी भी परिस्थिति से डरने को मना किया। ऐसे में उनके कोच इमानी चिरंजीवी ने 2008 में “द्रोणाचार्य पुरस्कार” प्राप्त किया था।
मुक्केबाजी की शुरुआत
निखत जरीन ने मुक्केबाजी की शुरुआत काफी पहले ही कर दी थी जिसमें उनकी मदद निकहत के चाचा शमामुद्दीन ने की थी। बचपन में जब अपने चाचा के यहां जाया करती थी तो उसे मुक्केबाजी देखना बहुत अच्छा लगता था।
चूंकि निकहत के चाचा बॉक्सिंग कोच थे और इस वजह से निकहत के अंदर मुक्केबाजी को लेकर भी जबरदस्त उत्साह देखा गया। शुरू शुरू में घर वालों ने निकहत का साथ नहीं दिया क्योंकि उन्हें ऐसा लगता था कि लड़कियां सिर्फ घर चलाने का ही काम करती है। लेकिन धीरे-धीरे जब निखत जरीन की रूचि मुक्केबाजी में होने लगी, ऐसी स्थिति में उसने हार ना मानते हुए इस क्षेत्र में आगे बढ़ने की बात सोची।
बॉक्सिंग में करियर
जैसा कि हमने आपको बताया कि उन्होने अपना बॉक्सिंग का सफर अपने चाचा के साथ शुरू किया था जहां चाचा ने सही मार्गदर्शन दिया। ऐसे में बहुत ही छोटी उम्र में निखत जरीन ने बॉक्सिंग में अपना करियर बनाना शुरू कर दिया था जहां साल 2010 में उसने राष्ट्रीय स्तर पर होने वाली जूनियर मैच में स्वर्ण पदक हासिल किया था।
और यह उनके जीवन का पहला स्वर्ण पदक था जिसके आने के बाद उसके अंदर एक नया आत्मविश्वास आ गया था और उन्होंने सारे अंधविश्वास को पीछे छोड़ दिया जहां यह बात सामने आती थी कि लड़कियों को बॉक्सिंग के फील्ड में आगे नहीं बढ़ना चाहिए।
अगले ही वर्ष 2011 में उन्होंने तुर्की में होने वाले “एआईबीए महिला जूनियर” और “यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में फिर से स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन कर दिया था और धीरे-धीरे उसने अपने कामयाबी की सीढ़ी चढ़ना शुरू किया।
इसके बाद 2014 में बुलगारिया में होने वाले “यूथ वर्ल्ड बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में उन्होंने सिल्वर मेडल जीता जहां उन्हें थोड़ी निराशा हुई लेकिन फिर भी उन्होंने अपने मकसद को बनाए रखा और आगे भी अच्छा करने के लिए निश्चित रूप से उन्होंने भरपूर प्रयास किया।
इसके बाद 2014 में ही आयोजित होने वाले “नेशंस कप इंटरनेशनल बॉक्सिंग टूर्नामेंट” में उन्होंने फिर से स्वर्ण पदक जीतकर खुद को साबित कर दिया और इस प्रकार से उन्होंने 2015 में भी होने वाली “सीनियर वुमन नेशनल बॉक्सिंग चैंपियनशिप” में जबरदस्त जीत हासिल करते हुए स्वर्ण पदक अपने नाम कर लिया था।
इसी कड़ी को आगे बढ़ाते हुए भी उन्होंने जालंधर में 2015 में आयोजित होने वाले “सर्वश्रेष्ठ मुक्केबाज” का पुरस्कार जीतकर फिर से अपने प्रतिद्वंदी को हराते हुए स्वर्ण पदक जीता था। इस प्रकार से उन्होंने अपने करियर में कई सारे स्वर्ण पदक जीते जिसके माध्यम से उन्होंने देश का नाम रोशन किया।
निकहत जरीन ( Nikhat Zareen) ने जीता कांस्य पदक
इस महान मुक्केबाज ने अब तक स्वर्ण पदक जीतकर देश का नाम रोशन किया था जिसके बाद उनका स्वास्थ्य सही नहीं रहा और फिर उन्होंने दोबारा वापसी की जहां वर्ष 2021 में “एशियाई मुक्केबाजी चैंपियनशिप” में उन्होंने कांस्य पदक जीता जो उनके जीवन का पहला कांस्य पदक था।
निखत जरीन ने स्वर्ण पदक की मदद से की जोरदार वापसी
जहां निकहत जरीन ने अपने जीवन में कई सारे ऐसे सफर देखें जहां पर उन्होंने कड़ा संघर्ष किया था और फिर से उन्होंने मजबूती के साथ वापसी कर ली थी। ऐसे में 19 मई 2022 को तुर्की के इस्तांबुल में आयोजित होने वाले “महिला विश्व चैंपियनशिप” में उन्होंने फिर से अपना शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए जोरदार वापसी की।
जहां हमारे इस भारतीय मुक्केबाज निखत जरीन ने फाइनल के मैच में थाईलैंड की जिटपोंग जुटामस को 5-0 से हरा कर गोल्ड मेडल जीते हुए शानदार तरीके से विश्व चैंपियनशिप अपने नाम कर चुकी है। यह पल हमारे देश भारत को गौरवान्वित करने वाला पल था जिसके माध्यम से अब देश की बेटियों को भी आगे बढ़ने का जुनून देखा जा सकता है।
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गोल्ड मेडल जीतने वाली पांचवी विश्व चैंपियन
जब भी किसी प्रतियोगिता के बारे में जिक्र किया जाता है तो वहां पर विश्व चैंपियनशिप मुक्केबाजी की बात अवश्य रूप से होती है जहां पर अब तक भारत को पांच बार विश्व चैंपियनशिप प्राप्त हुई है जिसमें सबसे पहले मैरीकॉम ने 2002, 2005,2006, 2008, 2010 और 2018 में वर्ल्ड चैंपियनशिप हासिल की थी।
निखत जरीन के अतिरिक्त सरिता देवी ने भी 2006 में गोल्ड मेडल जीतकर विश्व चैंपियनशिप हासिल की और जेनी आर एल ने भी 2006 में महत्वपूर्ण चैंपियनशिप हासिल की थी।
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