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मंदी एवं मंदी के समान हालत





मंदी


मंदी का आशय व्यवसाय की उस स्थिति से लगाया जाता है। जब वस्तु की बिक्री में कमी आ जाती है। इसे के कई परिणाम होते हैं एवं कई कारणों से यह आती है। मंदी भी व्यवपार-चक्र का एक हिस्सा है। जैसा कि मैंने अपने पहले एक ब्लॉग में बताया है। व्यवसाय में मंदी और तेजी दोनों आते हैं। अभी वर्तमान हालत में मंदी है। व्यवसायिक का मानना है कि यह मंदी GST(goods and service tax) के कारण आई है। कुछ हद तक सही भी है। पर संपूर्ण मंडी का कारण इसे मानना सही नहीं होगा। मंदी के अन्य भी कई कारण होते हैं। हम इन्हें समझते हैं।




मंदी के समान हालत के कारण

1 सरकारी नीतियां :-  सरकार की नीतियों में अचानक हुए परिवर्तन से भी मंदी आ जाती है। जो कि अभी वर्तमान हालत में ऐसा कहा जा रहा है। क्योंकि VAT(value added tax) को GST बनाना भी सरकारी नीति है।

2 आपातकाल :- देश में आई बाढ़, अकाल,अतिवर्षा, तूफान आदि के कारण भी व्यवसाय में मंदी आ जाती है। यह हालत व्यवसाय के बिक्री को रोकते हैं, या उत्पादन को रोकते हैं। इस कारण व्यवसाय के लेन-देन कम होते हैं,और मंदी आ जाती है।

3 प्रतिस्पर्धा :- व्यवसाय की बढ़ती प्रतिपदा भी व्यवसाय के लेनदेन को कम करती है। प्रतिस्पर्धा से ग्राहक को चुनाव का मौका मिलता है। वही स्थानीय व्यवसाय को क्षति पहुंचाता है।

4 अधिक उत्पादन :- किसी वस्तु के अधिक उत्पादन स्वयं के द्वारा या अन्य किसी उत्पादन यूनिट द्वारा बढ़ा उत्पादन भी वस्तु के दाम को कम करता है। जिस कारण व्यवसाय में आर्थिक संकट बना रहता है। की हालत कुछ कुछ मंडी के समान नहीं होते हैं।

5 बुरी प्रबन्ध व्यवस्था :- कभी-कभी व्यवसाय के बुरे प्रदर्शन का कारण प्रबंध व्यवस्था का सही ना होना होता है। जिसमें अपव्ययो की वृद्वि होना, उत्पादन कम होना आदि के कारण बने हालात भी मंदी के समान होते हैं।

6 प्रतिस्पधि वस्तु :- कई बार वस्तु भी प्रतिस्पर्धा करती है। ऐसा तब होता है जब एक वस्तु का स्थान दूसरी वस्तु लेने लगती है। जैसे सैनेट्री पैड की जगह टेम्पोल और मैचुअल-कप ले रहे हैं।

7 गुणवत्ता में कमी :- कई बार आप अधिक लाभ के लिए वस्तुओं की गुणवत्ता में कमी करने लग जाते हैं। जिसके परिणाम स्वरूप ग्राहकों को आपके  सामान में रुचि कम होने लगती है। इसे धीरे-धीरे अब की बिक्री कम होती है। और इस प्रकार हालत पैदा हो जाते हैं।




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